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शहर अच्छा नहीं लगता जाओ गाँव लोट जाओ

शहर अच्छा नहीं लगता जाओ गाँव लोट जाओ,

बेवजह नासमझ लोगों को रस्ते से न भटकाओ,


सो मुश्किलें है यहाँ तो हज़ार मुसीबतें वहाँ हैं,

तोलना ही है तो दोनों को साथ रख के बताओ,


जिसने तुम्हें काम दिया, नाम दिया, मुकाम दिया,

उसी को कहते हो बुरा, कुछ तो यारो शर्म खाओ,


सबको सुनाते फिरते हो अफ़साने खेत खलिहानों के,

है अगर हिम्मत तो ज़िंदगानी वही जी कर दिखाओ,


ये भी इंसानों की जगह वो भी इंसानो की है जगह,

और बड़े मसाइल है पहले ही तुम और न बढ़ाओ!

कर लो काम वक़्त के हिसाब से जैसे वो बना है

बेवक़्त करोगे तो खुद को लगेगा ये क्या गुनाह है,

कर लो काम वक़्त के हिसाब से जैसे वो बना है,


जवानी में देख लो जितनी भी दुनिया देखनी है,

पीरी में तो न दिखाई देता है ना जाता चला है,


छोटे दाओ तो बेख़ौफ़ हो के खेल लिया करो,

आखिर तो सब की तय और यकीनन फ़ना है,


जो भी मुश्किलें हैं शहर की थोड़ा सहन करो,

तुम्ही ने बदला है इसे, तुम्ही से ये ऐसा बना है,


दिल है जो नहीं हो सकता उसी तरफ भागता है,

चाहे तख्ती पे लिखा हुआ है अंदर आना मना है!

उसकी मर्ज़ी के सांचे में डाल के उसके हाथों में थमा दो

 मुझे मिटा दो, फिर से बना दो, उसे अच्छा लगे, वैसे सजा दो,

अगर एक यही आखिरी रास्ता है, देख लो, ये भी आजमा दो,


जो गुज़र रही है उसके बिना, हर घडी, हर रहगुज़र से है गिला,

मुझे तोड़कर ओ कूज़ा-गर, चाक पे एक बार फिर से चढ़ा दो,

 

क्या मजा बिना चाह जीने का, ग़म भुलाने के लिए पीने का,

हो जिसकी भी वो  मुंतजिर, मुझे बस वही लिबास पहना दो, 


वही मेरी मंजिल वही मेरा मुकाम है वही सुबह वही शाम है,

जो भी हो सके जो भी बन सके मुझे उसके दिल में बसा दो, 


बस रूह रखना कायम मेरी, इस में है मेरी चाहत छुपी,

उसकी मर्ज़ी के सांचे में डाल के उसके हाथों में थमा दो!

तुझे चाह तो लिया मगर, तुझे पाने की कोई राह न मिली

तुझे चाह तो लिया मगर, तुझे पाने की कोई राह न मिली,

फूल कोई खिलता ही नहीं, ये कैसी मुझको ज़मीन मिली,


कहूँ इसे किस्मत का खेल, बदनसीबी, ये मेरी कोई कमी,

भटक रहे हैं अब भी तलाशे यार में शहर शहर गली गली,


जो साथ थे वो दूर हो गए, जो जानते थे सब वो भूल गए,

अपना साया अब तो बस साथ है, नींद भी गयी छोड़ चली,


कोई रहनुमा मुझे अब मिले, कोई रहबर मुझे राह दिखाए,

बुहत बीत चुकी है ज़िन्दगी और अब शाम होने को है चली,


कहीं अफ़सोस ही मेरी ज़िन्दगी का सरमाया ना बन जाए,

के चले तो आखिरी सांस तक पर कोई मंजिल न मिली!