भूख ना लगती,
नींद की जरूरत ना होती,
बदन की इतनी हिफाज़त ना करती पड़ती,
फिर ना कोई तम्मना अधूरी रहती,
फिर ना कोई मक़ाम नामुमकिन होता!
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