ये कैसी जगह आ गए हैं हम

छोड़ के दूर निकल जाएँ कहीं,

या फिर डूब के मर जाएँ कहीं,


ये कैसी जगह आ गए हैं हम,

किसी को किसी की फ़िक्र नहीं,


जितना मर्ज़ी कर लो थोड़ा है,

काम पूरा यहाँ होता ही नहीं,


इनका क्या पता कब मुँह फेरें,

शिकवे बीवी के भी हो गए कई,


बच्ची जहाँ छोड़ी वहीँ खड़ी है,

abc तक अभी लिख पाती नहीं,


इश्क में पागल हुआ था मजनू,

रोटी के लिए हम न हो जाए कहीं,


मरने से अब डर तो नहीं लगता,

उसके लिए भी पर मोहलत नहीं,


घर टूटे या जिस्म से जान छूटे,

इससे पहले ढूंढे और काम कहीं,  


ये कैसी जगह आ गए हैं हम,

किसी को किसी की फ़िक्र नही!

किसी वजह से ही उसने मुझे बनाया होगा

कोई करिश्मा करना मेरे हिस्से आया होगा,

किसी वजह से ही उसने मुझे बनाया होगा,


बड़ा काम आया, अधूरा रहा इश्क जो मेरा,

किसी और ने मुझे इतना ना सिखाया होगा,


अपने आगे जो देख के उनको सरूर आता है,

इन्होंने ने भी तो किसी तरह रस्ता बनाया होगा,


मेरे दिल में तो एक सूरज कब से रोशन है,

कभी ना कभी तो दुनिया को भी नुमायाँ होगा,


उमर भर की मेहनत मेरी यकीनन रंग लाएगी,

दिन रात बरसों एक किया यूं न जाया होगा!

खुश रहना जो अब सीख लिया है

 खुश रहना जो अब सीख लिया है,

उसने जो कुछ दिया सब ठीक दिया है,


अब मैं कोई बाजी हार नहीं सकता,

दिल तेरा जीतना था जीत लिया है,


बाजार से मैं बिल्कुल खफा नहीं हूं,

बस इसे देख थोड़ा नजदीक से लिया है,


शाहीं को बुलबुल बन देखूं शाखों से,

उसकी परवाजों पे लिख गीत दिया है,


अच्छा बुरा दोनों वक्त बनाते हैं इंसान को,

बुलंदियों को तह से जो तहक़ीक़ किया है!