क्यों दुनिया के बातों में आते हो, तेरी मोहब्बत है मेरा सरमाया

क्यों दुनिया के बातों में आते हो, तेरी मोहब्बत है मेरा सरमाया, 

चाह के भी भुला नहीं सकता, खुद को मिटा के तूने मुझे है बनाया, 


ज़माने से मात खा के, वक़्त के हाथों ज़ख्म खा लोटा हूँ जब भी, 

तूने ही मेरे ज़खमों पे मरहम लगाया, रात रात भर मुझे सहलाया, 


तेरे खाब भी थे, मेरे खाब भी थे, शादाब हो सकते थे शायद दोनों, 

अपने आप को मेरे पीछे रख के, तूने आगे मुझे हर दम है बढ़ाया, 


सच कहता हूँ तेरी चाहत मेरी बंदगी, तेरी फ़िक्र है मेरी इबादत, 

क्यों बे-वक़्त हो जाती हैं मेरी नमाज़ें, लो आज तुमको ये बताया!

हाल-ए-दिल था जो, कभी तुमको सुनाया ही नहीं

शायद मेरे ही मेरे थे तुम, हक़ मैंने जताया ही नहीं,

हाल-ए-दिल था जो, कभी तुमको सुनाया ही नहीं,


उठा के हाथ फ़रियाद तो करता, बन के नमाज़ी,

सजदे में लेकिन मैंने, सर अपना झुकाया ही नहीं,


ये अधूरा सा जो रह गया, अब और भी है सताता,

जो होता सो होता, कदम आगे क्यों बढ़ाया ही नहीं,


जो मिलते तो मेरी चाह हो जाती तुमको नुमाया,

ना जाने क्यों इस असबाब को आज़माया ही नहीं,


तुम्हारी ना से जान जाती, दुनिया से छूट जाते हम,

ग़मे-दिल का बोझ लेकिन, अब जाता उठाया नहीं!

फिर ना कोई तम्मना अधूरी रहती

भूख ना लगती,

नींद की जरूरत ना होती,

बदन की इतनी हिफाज़त ना करती पड़ती,

फिर ना कोई तम्मना अधूरी रहती,

फिर ना कोई मक़ाम नामुमकिन होता!

नहीं कर सकते तो कह दीजिए

नहीं करना तो मत कीजिए, 

नहीं कर सकते तो कह दीजिए, 

पर बेवजह बुरा भला कह के, 

दिल के किसी को दुख न दीजिए!


एक उम्मीद पे तो हम सब ज़िंदा है,

मिलेगा दाना उड़ता डाल से परिंदा है,

जो नहीं दे सकते दो दाने भिक्षु को,

दुत्त्कार के दिल उसका तोड़ न दीजिए!


अपनी अपनी चाह सब को प्यारी है,

बन्दा दिन रात करता मेहनत, तैयारी है,

नहीं बन सकते हो जो कृष्ण से सारथी,

तो कटु वचन कह उत्साह क्षीण न कीजिए! 


अपना करीबी समझा, तभी था वो आया,

सबको तो नहीं जाता अपने मन का बताया,

जो व्यथा उसकी को तुम हर नहीं सकते ,

नश्तर से उसको लहू-लुहान न कीजिए!