बीमार

लफ्ज़ आहिस्ता से रखो,  

धीमे लहज़े में बात करो,

वो बीमार भी है,  

ना उम्मीद भी,  

घबराया हुआ भी,


इस वक्त उसको  

नसीहत की नहीं,  

साथ की ज़रूरत है,


साथी वो जो  

उसी की सुन सके,  

हाथ दे के बस  

खड़ा कर सके,


क्यों सोचते हो  

कि उसे कुछ मालूम नहीं?

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