जाना कहां हैं

 हर कोई जल्दी में है

पर किसी को मालूम 

नहीं जाना कहां हैं,

हर किसी के हाथ में है

तीर कमान पर किसीं को

मालूम नहीं निशाना कहां है,


ये दौलत की भूख,

ये शौहरत की हवस,

लोग कर रहें है सब 

कुछ न कुछ देखा देखी बस,

कोई सोचता नहीं 

जा रहा जमाना कहां है,


दिल दुखता है जो हो रहा 

बहुत कुछ उस में से देख के,

दम घुटता है जब कभी

खुद भी पड़ जाते हैं

जो चल रहा है उसके सामने

मजबूरन घुटने टेकने,

कर लिया है किनारा शायद

इसी लिए, पागल जिसके लिए 

अमूमन सारा जहां है,


ये नहीं हमको के आगे बढ़ना नहीं,

दुनिया के साथ हमको चलना नहीं,

पर ना हो जो सलीका, अदब, तहजीब,

ऊपर से चमक अंदर खाली जो चीज

उसको तो कह नहीं सकते हम ठीक,

चाहे लाख कहे कोई तुमको हो

आता दुनिया से निभाना कहां है,


मैं तो अपने आप को आहिस्ता कर रहा हूं,

ये झूठ ये तिलिस्म ये फरेब ये जालसाजी

से रोज थोड़ा थोड़ा अलहिदा कर रहा हूं,

तय कर रहा हूं अपने मनसूबे अपनी मंजिले,

और उसी तरफ बढ़ रहा हूं मुझे

सच्च में जहां पे होना चाहिए,

मुझे सच्च में जाना जहां है।

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