आपके लिए फ़िक्र
के अलावा हम
कुछ और न कर सके,
आप हमें बेसहारा
छोड़ के ना जाएँ
चाँद तारों से गुज़ारिश
के सिवा हम कुछ
और न कर सके,
खुली आंखों से देख
रहे थे एक हादसा
यकीनन होने को है,
वो जिनकी निगहबानी में
चलते हैं बेख़ौफ़
हम उनकी सरपरस्ती
खोने को हैं,
मैंने आपसे भी
कुछ कुछ मिन्नतें की
और भी जो रास्ते
मुमकिन थे उनकी
आपके सामने पेशकश की,
मैंने हुकमरानों को
हमारे खस्ता हालत की
इतितलाहें की
कुछ तो निज़ाम को बदलो
लिख लिख के खत
सिफ़ारिश की मिन्नतें की,
पर हर सदा हर दुहाई
पत्थरों से टकरा के
जैसे वापिस लोट आई
ग़ैर मुल्की हो जैसे हम
नहीं हुई कोई सुनवाई,
और अब के जिस नई
सुबह के आगाज़ के लिए
हमने दिन रात एक किया था
जिन खाबों की तामीर
के लिए हमने अपनी
साँसों को मेहनत
की भट्टी में झोंक दिया था,
वो सब अब जैसे
दम तोड़ने को हैं
पालने से उतर के
जिन्होंने अभी चलना
तक न सीखा था
साथ मारा छोड़ने को हैं,
और ये अंधेरगर्दी,
हुक्मरानों की मदमस्ती,
मैं जानता हूँ
अभी कम नहीं होने वाली
चाहे कितने भी मसीह
सलीब पे चड़ें
ये दुनिया बदलने नहीं वाली,
इस गम-ग़ाज़ीदा
सहर को शब् को
गले लगा, दो आंसू
बहा हम सो जाएंगे,
फिर अपनी मजबूरियों की
खातिर कल यहीं आएंगे,
और मुझे मालूम है
और भी हादसे होंगे
इसी तरह से आगे भी,
और ये भी तय लगता है
तब हम कुछ न कर सकेंगे
फिर वही मिन्नतें गुज़ारिशें
इस से आगे न बढ़ सकेंगे,
चलो आप जाएँ
इस ज़िंदाँ से दूर
जहाँ तरक्की पसंद
हुनरमंद लोगों का
एहतराम हो,
जहाँ उम्मीद से सुबह हो
जहाँ ख़ुशी से शाम हो,
फ़िक्र न करना हमारे
खस्ता हालातों की
हमको आते हैं
अपने रास्ते ढूंढ़ने
और पा ही जाएंगे
कोई दयार तो
जहां कदर हो कीमत हो
हुनर की हयात की
ख्याल की जज़बात की,
बस रह जाएगा एक
मलाल तो ये के
आपके लिए फ़िक्र
के अलावा हम
कुछ और न कर सके!
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