बस यही है ज़िंदगी और क्या कहूँ

 बीवियों की कट जाती है इंतजारी में,

आदमियों की रोजगार की मारा मारी में,

और बच्चों की इसी तैयारी में,

बस यही है ज़िंदगी और क्या कहूँ।

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