शहर अच्छा नहीं लगता जाओ गाँव लोट जाओ,
बेवजह नासमझ लोगों को रस्ते से न भटकाओ,
सो मुश्किलें है यहाँ तो हज़ार मुसीबतें वहाँ हैं,
तोलना ही है तो दोनों को साथ रख के बताओ,
जिसने तुम्हें काम दिया, नाम दिया, मुकाम दिया,
उसी को कहते हो बुरा, कुछ तो यारो शर्म खाओ,
सबको सुनाते फिरते हो अफ़साने खेत खलिहानों के,
है अगर हिम्मत तो ज़िंदगानी वही जी कर दिखाओ,
ये भी इंसानों की जगह वो भी इंसानो की है जगह,
और बड़े मसाइल है पहले ही तुम और न बढ़ाओ!
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