लडकियों की चाहत भी अजीब होती है

लडकियों की चाहत भी अजीब होती है,

या तो चाहती ही नहीं है,

खेल देती हैं दाव तो फिर सोचती नहीं हैं,


झोंक देती हैं अपने आप को हर आग में,

मोम की गुड़ियाँ, 

और लोहा बन कर निकलती हैं,


लोहा जिसे मुश्किलें काट नहीं सकती,

शक्ति जो उठा ले, तो फिर हथियार नहीं रखती,


अगर पास होता एक वर के,

किस की राहें आसान करनी हैं,

कोई होते कुंडल, कवच मेरे पास करन की तरह,

दे के दान मांग लेता तुम्हारे लिए मुक्ति,


पर अभी तो खड़ा हूँ,

बहनो, माताओ, बेटियो तुम्हारे साथ

जहाँ तक भी चल सकूं|

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