तुम जो मेरे पास हो,
तुम ही मेरे लिए ख़ास हो!
भूली बिसरी बातें
यूं ही कभी कभी
याद आ जाती हैं,
होती कुछ नहीं
बस ख्यालों की
आवारागर्दी है,
बेवजह न उदास हो,
तुम जो मेरे पास हो,
तुम्हीं मेरे लिए ख़ास हो!
कुछ नहीं था जब पास मेरे
तब तुमने मेरा साथ दिया,
सीधी सी बातों वाले पे
इतना तुमने विश्वास किया,
सादे से कपड़ों में भी देख
कहा अच्छे लगते हो पिया,
और चली आई सब छोड़
सीता चल पड़ी हों जैसे
राम जी के साथ वनवास को,
तुम जो मेरे पास हो,
तुम्हीं मेरे लिए ख़ास हो!
फीकी सी मेरी ज़िन्दगी में
आ के ख़ुशी का रंग भर दिया,
बड़े मकानों में रहा था
तुमने मुझको आ के घर दिया,
जितना मैंने सोचा था,
तुमने उससे बढ़कर किया,
क्यों खोल के पड़ना
मेरे बासी इतिहास को,
तुम जो मेरे पास हो,
तुम ही मेरे लिए ख़ास हो!
सच वो भी है जो लोग कहते हैं,
सच वो भी है जो मैं कहता हूँ,
पर ऐसे ही तो होती है ज़िन्दगी,
लो बात में तुम्हें ये कहता हूँ,
जो होता है वक़्त का मंजर,
उसी में सपने सजा लेता हूँ,
जो लगता है अच्छा, जुट
जाता हूँ, या ख़ाब बना लेता हूँ,
क्यों इतना आदर्श मान
के चलना, इस सपनों की
उम्मीदों की ख़ाक को,
तुम जो मेरे पास हो,
तुम ही मेरे लिए ख़ास हो!
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