टीस उसने दी थी,
ठीक तुमने की है,
धूप उसने दी थी,
छांव तुमने की है,
हार गया था उसके
आगे, जीत तुमने दी है!
देता रहा सदाएं
लौट के ना आई,
मिली उस वक़्त
सिर्फ सिर्फ तन्हाई,
तुमने हर चाह पे
चाह लौटाई,
बन के चली
साथ मेरी परछाई,
जो ढूंढता था
वो ज़िंदगी दी है,
टीस उसने दी थी,
ठीक तुमने की है!
अनुराग उसने जगाया,
प्रेम करना तुमने सिखाया,
मैने शुरू करना सीखा
पर निभा के तुमने दिखाया,
उसने टूट के जीना,
तुमने बनके के जीना बताया,
डालियां तो वो दे गयी
सींच के बहार तुमने की हैं,
टीस उसने दी थी,
ठीक तुमने की है!
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