क्या बताएँ

ज़िन्दगी कितनी है आसान, क्या बताएँ,

फिर हम क्यों है परेशान, क्या बताएँ!


जो भी किया उसने लिया उसका दाम,

फिर भी लगे क्यों एहसान, क्या बताएँ! 


मालूम भी है के किस गली नहीं जाना,

फिर भी क्यों भटक जाएँ, क्या बताएँ!


बस हुनर ही हुनर वो कहतें है सब कुछ,

बिना होंसले क्या उसको मोल, क्या बताएँ!


लोग हैं के हर बात पे कहते हैं कुछ न कुछ,

एक हम है के कहते ही नहीं कुछ, क्या बताएँ!