निगाहों में उम्मीद,
होंठ प्यासे प्यासे,
बैठे हैं हम सब लोग,
वहां उदासे उदासे,
वादें है कुछ,
इरादे हैं कुछ,
लोट आए हम,
हताश खाली हाथ,
शाह के दर से,
चलो इसे भूल जाएं,
जो बचा है दिन,
उसका लुत्फ उठाएं,
या फिर कोई बचा हुआ
काम ही निपटा आएँ,
क्या गम करें,
क्या रंज करें,
ये तो सदियों
पुराना खेल है,
दोलत, हुकूमत वाले
जो चाहे करें,
जिसे चाहे मार डालें
जिसे चाहे काट खाएं,
आज हम पे गुजरी है
तो क्या हुआ,
यही गीत है,
यही रीत है,
कहता है आसमान,
बताती हैं हवाएं।