आदत हो गई है, कुछ इस तरह आपसे बात करते करते,
दिल लगता ही नहीं कहीं और, देखते क्या क्या नहीं करके,
लज्जत-ए-यार से ज्यादा लज्जत है ही नहीँ कहीं और,
वरना देखा नहीँ क्या क्या ज़ुबान पे रख रख के,
कहाँ जाएँ अब तुमहारे पास आने के सिवा तुम ही बताओ,
मुद्दतों बाद मिला है कोई आ के हमको यूँ मोहब्बत से,
मुन्तजिर जो हो सदियों से किसी की बेपनाह चाह का,
मिल जाए जो न दोश दो के इंतज़ार न हो पाता अब उससे,
फिर करेंगे कोशिश के सीख जाएँ हुनर सबर इंतज़ार का,
अगर एक मुकाम है ये भी मोहब्बत के इस सफर में!
दिल लगता ही नहीं कहीं और, देखते क्या क्या नहीं करके,
लज्जत-ए-यार से ज्यादा लज्जत है ही नहीँ कहीं और,
वरना देखा नहीँ क्या क्या ज़ुबान पे रख रख के,
कहाँ जाएँ अब तुमहारे पास आने के सिवा तुम ही बताओ,
मुद्दतों बाद मिला है कोई आ के हमको यूँ मोहब्बत से,
मुन्तजिर जो हो सदियों से किसी की बेपनाह चाह का,
मिल जाए जो न दोश दो के इंतज़ार न हो पाता अब उससे,
फिर करेंगे कोशिश के सीख जाएँ हुनर सबर इंतज़ार का,
अगर एक मुकाम है ये भी मोहब्बत के इस सफर में!