समंदर कभी कभी बिल्कुल,
माँ सा नज़र आता है,
जाता हूँ जब भी पास इसके,
लहर लहर हो के गाता है,
अपने ही जिस्म से बना
के बादल, मैं जहाँ होता हूँ,
मेरी प्यास बुझाने के लिए
वहाँ बरस जाता है!
माँ सा नज़र आता है,
जाता हूँ जब भी पास इसके,
लहर लहर हो के गाता है,
अपने ही जिस्म से बना
के बादल, मैं जहाँ होता हूँ,
मेरी प्यास बुझाने के लिए
वहाँ बरस जाता है!