एक दिन माँगता हूँ
तुमसे ज़िन्दगी का,
ही सके तो मुझको दे दो,
एक नज़र माँगता हूँ
प्यार की, हो सके तो
ओ प्रिय मुझको देख लो,
बुहत कुछ तो नहीं माँगता,
अल्फ़ाज़ दो कोइ भी
प्यार से बोल दो,
सदियों से मुसाफिर हूँ
रस्तों का, एक रात अपने
दिल किनारे सोने दो,
शायद मैं जान जाऊं
इश्क़ क्या है,इतना
सा मेरे पे करम कर दो!
तुमसे ज़िन्दगी का,
ही सके तो मुझको दे दो,
एक नज़र माँगता हूँ
प्यार की, हो सके तो
ओ प्रिय मुझको देख लो,
बुहत कुछ तो नहीं माँगता,
अल्फ़ाज़ दो कोइ भी
प्यार से बोल दो,
सदियों से मुसाफिर हूँ
रस्तों का, एक रात अपने
दिल किनारे सोने दो,
शायद मैं जान जाऊं
इश्क़ क्या है,इतना
सा मेरे पे करम कर दो!