ये आज कल हम कैसी जिंदगी बसर कर रहे हैं

ये आज कल हम कैसी जिंदगी बसर कर रहे हैं,
कभी थोडा जी रहे हैं, कभी थोडा मर रहे हैं,
लगता है जैसे एक साथ दो रस्तों पे चल रहे हैं,
ये आज कल हम ...

कहीं है खुद को बनाने की ख्वाइश,
कहीं है खुद को मिटाने की साजिश,
दुश्मन और दोस्त मेरे दोनों जैसे,
मेरे साए में एक साथ पल रहे हैं,
ये आज कल हम ...

पाऊँ कभी बड़े चले जाते हैं,
जाकर के कभी वापिस लोट आते हैं,
जैसे के हों ये दिन कोई,
कभी निकल रहे हैं, कभी ड़ल रहे हैं,
ये आज कल हम ...

लगता है जैसे ये जिंदगी कश्ती कोई
दूर समन्दर में जो निकली हुई,
बड रही है जो ये बस सोचती हुई,
के मंजिल छोड़ आए हैं या,
मंजिल की तरफ बड रहे हैं,
ये आज कल हम ...