कहता है शराब है तेरे पास तो देके जा

कल एक झोंपड़ी में
मैं चिराग लेके गया,
कम्भख्त ने बुझा दिया
फूंके मार मार के,

कहता है शराब है
तेरे पास तो देके जा,
वरना मेरे घर से
निकल जा दफा हो जा!

एक बाजू उसका कमजोर रह गया

एक बाजू उसका
कमजोर रह गया,
फर्क उसका दूसरे
बाजू से कुछ भी ना था,

बस उसने कभी उसका
ख्याल ही ना किया,
बस उसने कभी उससे
कोई काम ही ना लिया!

तेरी पलकों पे आकेे जो एक दिन, मेरे खाबों का कारवाँ रुका

तेरी पलकों पे आकेे जो एक दिन,
मेरे खाबों का कारवाँ रुका,
मेरी रूह ने झुका दिया सिर सजदे में,
मेरे दिल ने सदा दी यही है वो खुदा!

असल जिंदगी में ऐसा कोई कहाँ होता

मैं जानता हूं उनके,
सिलसिला-ऐ-तकरार की वजह,
उसने मांगी दी बहिश्त-ऐ-हूर,
उसने चाहा था कायनात-ऐ-खुदा,
असल जिंदगी में ऐसा कोई कहाँ होता!

तुझे बदलना होगा देखने सोचने का नज़रिया

झूठा है वो जो कहता है
चाँद सितारे तोड़ ला देगा,
सोच बैठ के क्या वो
तेरे राह में चिराग जला सकेगा?

मत आ महकते
गुलाबों के झांसे में,
सोच क्या ये तेरे रास्ते
के कांटे निकाल सकेगा?

तेरे हाथों को नहीं
चाहियें सोने के कंगन,
पूछ उससे क्या तेरे पाऊं की
बेड़ियाँ काट सकेगा?

झूठे वादों की लम्बी
फेहरिस्त पे ना जा,
पूछ उससे क्या एक वादा
करके उम्र भर निभा सकेगा?

तुझे बदलना होगा देखने
सोचने का नज़रिया,
नहीं तो तुझे हर तलाश में
सहरा-ऐ-सराब ही मिलेगा!