माँगे मिले ना भीख, बिन माँगे मिल जाएँ मोती

माँगे मिले ना भीख,
बिन माँगे मिल जाएँ मोती,
सोचा ना था एसी बातें
कभी सच भी हैं होती,

जाने तुमने क्या देखा,
जाने तुमने क्या समझा,
मुझे में तो कुछ है ही नहीं,
मैं तो यही सोचता हूँ हर पल,
तेरी इनायत, तेरी शफ़क़त,
कोशिश से तो ना मुझको
ये दोलत सोहबत की हासिल होती,
माँगे मिले ना भीख...

कतरे कतरे के लिए
जो हमेशा हो ख्वार हुआ,
जिसका हर संगी छोड साथ,
कोई इस पार कोई उस पार हुआ,
सुनी उसकी माला आ के
तुमने फिर है कुसुमों से पिरो दी,
माँगे मिले ना भीख...

भाग्य हर दिन तो ना है सोता,
किस्मत को कभी तो है बदलना होता,
मुझ को लगता है तुम किरन
नहीं, तुम सूर्य हो गगन का,
जो उग मुझसे कहता है,
बड़ो बड़ो उठो उठो चलो चलो,
तुम खरे उतरोगे अब चाहे जो हो कसौटी,
माँगे मिले ना भीख...

मैं मोल कभी मेरे ख्याल के
लिए तुम्हारा चुका ही नहीं पाऊँगा,
जितना जितना दूँगा उतना
उतना और ऋणी होता जाऊँगा,
पर सच तो ये है के,
इस लघुता में ही पूर्णता है,
बात इतनी गहरी की ना होते तो
न समझ मुझपे नाज़िल होती,
माँगे मिले ना भीख...

तुम निभाते आ रहे हो,
तुम यूँ ही निभाते जाना,
मैं भी कोशिश करता रहूँगा,
कुछ सलीका भी मुझे सिखाते जाना,
कई लाख सितारे कहीँ मिलते हैं
फिर बनता है कोई नाता,
उन सितारों से चलो ये कह दे
नहीं तोड़ेंगे चाहे हो बात कोइ
कितनी बड़ी कितनी छोटी,
माँगे मिले ना भीख...