चलो हमने इसे ही अन्जाम कर दिया

मौजजे की उम्मीद में
कोशिशों का साथ छोड़ दिया,
जान-ए-हकीकत ने हमसे
ख़फ़ा हो के मुँह मोड़ लिया,

कभी सोचा ही ना रस्मे
दुनिया और राहदारी क्या है,
हर एक चीज़ में यही सोचा
दिल-ओ-जान दिया के न दिया,

क्यों मिले हमको दुनिया
और इसकी कोई शय भी,
नाता ख्यालों से ही, हमने
ही तो था सब जोड़ लिया,

आलम-ए-तन्हाई, बेकसी
ही चलो सिर्फ मेरे हिस्से सही,
क्या बुरा जो हमने और कुछ
भी न कभी हासिल किया,

सिवाए ठोकरों और दुशवारी के
इन रस्तों पे है और कुछ नहीं,
कोई चाहिए था पता करने के लिए,
चलो हमने इसे ही अन्जाम कर दिया!

उसने गरीबी देखी थी मैंने देखा था फसाद

उसने गरीबी देखी थी
मैंने देखा था फसाद,
वो तो उभर आया है
अपने हालातों से,
मुझे करता है वक़्त
वो आज भी बर्बाद,

उसके घर में अंधेरा था
मेरा दिल बुझ गया था,
मैं ढूंढता फिरता हूँ
लौ दिल के लिए,
वो गया बाज़ार
खरीद लाया चिराग,

उसको मालूम था
ज़िंदा रहेंगे तो मुश्किलें
हल हो ही जाएँगी,
हमको ये भी मालूम नहीं
मर के भी पाएगा
दिल क्या गम से निजात,

फिर जी लेता है आदमी
किसी न किसी तरह
पेट बाँध के मुफलिसी में,
लेकिन जीते जी मारते हैं,
सदमा, फ़िराक़, हादसा,
खौफ, दहशत, फसाद!

उसको खोने का इस कदर बड़ जाएगा

उसको दिल ठीक से
कुछ कह भी ना पाएगा,
डर उसको खोने का
इस कदर बड़ जाएगा,
सोचा ना था बढ़ते बढ़ते
इश्क़ में ये मंजर भी आएगा!

दिल बुहत नाजुक है

दिल बुहत नाजुक है,
इसी लिए बनाने वाले ने
इसको इतने अंदर रखा है,
गलती तेरी है जो इसे
तू सीने से निकाल के,
हथेली पे लिए फिरता है!