अभी तो जिंदगी शुरू हुई है,अभी तो बुहत दूर तक जाना है,
चलती आई है अब तक ऐसे ही,अभी तो इसको मुकम्मल बनाना है,
अभी तो दिल के बागबान में चाहत की नन्ही कोपलें खिलीं हैं,
अभी तो हर एक आरजू को फूल बनके जिंदगी को महकाना है!
खुदा की बक्शीश से अभी मिल गया है रोजी कमाने का ठिकाना,
पर अभी दिल के सुकून के वास्ते आशियाना बनाना है ,
इस मंजिल,इस मंजर तक पुहंचे हैं जिनकी दुआ से,
अभी तो उनके लिए कुछ करना है उनका क़र्ज़ चुकाना है,
अभी तो जिंदगी शुरू हुई है,अभी तो बुहत दूर तक जाना है...
जिंदगी की दौड़ धुप में अभी तक तो खोयी रही सुध बुध अपनी,
अभी तो अपने आप को सवारना,निखारना,बनाना है,
तमाम उम्र लिखे शेयर,कविता,गीत,ग़ज़ल,नज़म नाम जिसके,
अभी तो उसको समझाना,मनाना,अपना बनाना है,
अभी तो जिंदगी शुरू हुई है,अभी तो बुहत दूर तक जाना है...
अभी तो बचपन की चौखट पार कर जवानी की दहलीज़ पर पाऊँ रखा है,
अभी तो इस जिंदगी के इस हसीन पड़ाव में खूब मौज उडाना है,
अभी तो खेलते आए गेंद बल्ले,गिल्ली डंडे परोसे हुए मिलते रहे दूध अंडे,
अभी तो रिश्ते नाते,रीति-रिवाज़,धरम-करम,क़र्ज़-फ़र्ज़ सब निभाना है,
अभी तो जिंदगी शुरू हुई है,अभी तो बुहत दूर तक जाना है...
देखा है अब तक जो सुख-दुख,दूप-छाओं,शब-सहर,शहर-गाओं,
अभी तो उन सब यादों को महफूज़ करने के लिए कोई गीत बनाना है,
अभी तो छपनी हैं अपनी किताबें,गीतों को हर एक दिल तक जाना है,
अभी तो मजलिसों में शरीक होना है,हसना हसाना,रोना रुलाना है,
अभी तो जिंदगी शुरू हुई है,अभी तो बुहत दूर तक जाना है...
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