तुम्हे मुझे और पहले मिलना चाहिए था

तुम्हे मुझे और पहले मिलना चाहिए था,
मुझे तुम जैसा ही एक साथी चाहिए था,

जो मेरी पगली सी बातों पे हस सके,
जो मेरी सुलझी सी बातें समझ सके,

जिसको मेरी थोड़ी सी चाह हो,
जो बिछा के पलकें तकता मेरी राह हो,

जिसके चेहरे का नूर मेरी राह रोशन कर दे
जिसके लफ्ज़ मुझे हर पल होंसला हिम्मत दें,

जो मेरे साथ अपने सारे गम बांट ले,
जो मेरी सारी खुशियाँ अपने दामन में समेट ले,

जो माँगे कभी मुझसे खुद कुछ नहीँ,
पर जिसपे दिलो जान वारने का दिल करे,

जिससे चाहिए मुझे हो कभी कुछ नहीं,
बस के ये हस्त हुआ मेरे साथ चलता रहे,

भीनी भीनी सी खुशबू सा जो एहसास दे,
मीठी मीठी सी बोली से जो आवाज़ दे,

जो अपनी हवाओँ से मुझे परवाज़ दे,
जो रोक के मुझे थोड़ा सुकूँ ठहराव दे,

जो दूर हो के भी पास सा लगे,
जो रोज मेरी रूह से लगे आ गले,

जिसके लिए मैं हूँ पहला और आखिरी,
जिसको पा मुझे भी लगे सब तू ही,

मुझे तुम जैसा ही एक साथी चाहिए था,
तुम्हे मुझे और पहले मिलना चाहिए था!

If it is a girl I will call her bumble bee

If it is a girl I will call her bumble bee,
if it is a boy I will call him Scooby d,
equally joyus, equally buoyant, either case will be.

Yes the greatest joy is of mother and father,
a part of whom will be now an other being,
but equally unforgettable the moment for me it will be,
If it is a girl I will call her bumble bee...

Who knows what the little babies like
who knows to their tender mind what is the thing which most strikes,
but I would like to come on a Saturday afternoon and sing a lullaby,
If it is a girl I will call her bumble bee...

आओ के आ के सामने बैठ जाओ,

आओ के आ के सामने बैठ जा
मेरे हमदम मेरी आँखों में बस जाओ,

अभी लगता है एक ख्याल हो जैसे,
ख्याल से अब हकीकत में ढल जाओ,

खुदा सा मान अब और इबादत नहीं होती,
बन के आदम अब तुम सामने आओ,

ये माना के परी-पैकर हो, सितारों से हो,
पर अब लगाई है तो ज़मीन पे आओ,

अब क्यों मिलते हो इतने हिजाबों में,
अब तो चेहरा ए नूरानी से परदा हटाओ,

एक झलक चाहिए के इश्क़ गहरा हो,
इतनी सी इल्तज़ा है गौर फर्माओ,

प्यासा है दुनिया-ए-सहरा में एक नज़र का,
दे के दीदार उसकी प्यास तुम बुजाओ,

हुई इश्क़ ए मजाजी बुहत अब,
अब हमें इश्क़ के हक़ीक़ी पे ले जाओ,

आओ के आ के सामने बैठ जाओ,
मेरे हमदम मेरी आँखों में बस जाओ....

जब हम बाजारों में साथ साथ चलेंगे,

जब हम बाजारों में साथ साथ चलेंगे,
मुझे लगता है ये चरचे अखबारों में छपेंगे,

एक आदमी कहेगा
मैंने इंसान और खुदा को साथ जाते देखा,
उन्हें बात करते, हस्ते मुस्कुराते देखा,

दूसरा आदमी कहेगा
मैने देखा एक परी को आदमज़ाद के साथ,
सच है आती हैं ज़मीन पे वो हर चाँदनी रात,

तीसरा आदमी कहेगा
मैने देखा ज़मीन और आसमान को मिलते हुए,
सब हयात को दो लोगो में सिमटते हुए,

चौथा आदमी कहेगा
मैंने देखा चाँद को पेड़ की शाख पे खिलते हुए,
मैंने देखा सितारों को फूल से मिलते हुए,

पाँचवां आदमी केहगा
मानने लगा हूँ मैं अब किस्मत तकदीर को,
देख उस जागती हुई रांझा और हीर को,

और जाने क्या क्या किस्से बनेंगे,
और जाने क्या क्या लोग बातें करेंगें,
जब हम बाजारों में साथ साथ चलेंगे!