दिल नहीं लगता दो बातें करनी है

दिल नहीं लगता
दो बातें करनी है,
आ चुपके से
आ के सुन जा,
फुरसत नहीँ
है काम से ओ यारा,

फीकी फीकी सी
रोटी है, दाल भी
फीकी फीकी सी है,
तू हल्का हल्का
सा आ के इस को
नमकीन करदे ओ यारा,
दिल नहीं लगता
दो बातें करनी हैं....

सूनी सूनी सी शाम है,
मेरा दिल बहलाने
के लिए न कोई इंतज़ाम है,
तू मुझको बहलाने
के लिए, निकल
आ आसमान में
बनके कोई सितारा,
दिल नहीं लगता
दो बातें करनी हैं....

रात है चाहे मस्त
भीनी भीनी सी
फिर भी आँखों में
आई नींद नहीं,
तू आ के मुझको
इक्क लोरी सुना जा,
गा दे गीत कोइ
मीठा सा छेड़ इकतारा,
दिल नहीं लगता
दो बातें करनी हैं....

एक उसकी खातिर बनके खुदा

उसके दिल में
रह के उसकी
बातें सुनना चाहता हूँ,
मैं उसको
उससे भी ज़्यादा
समझना चाहता हूँ,

जितना वो
खुद अपना ख्याल
रखती है,
उससे भी ज्यादा
उसकी परवाह
करना चाहता हूँ,

उसने कुछ
सपने देखे होंगे,
उसने कुछ
चलने के लिए
रस्ते नापें होंगे,
मैं उसको उससे भी
आगे निकलता
देखना चाहता हूँ,

मैं बनना
चाहता हूँ कल्पतरु,
मैं बनना
चाहता हूँ कामधेनु,
और उसकी
हर चाह पूरी
करना चाहता हूँ,

यूँ मुझको
खुदाई का कोई
शोंक नहीँ,
पर बस सिर्फ
एक उसकी खातिर
बनके खुदा,
जो वो चाहे
जैसे वो चाहे,
उसकी तकदीर
लिखना चाहता हूँ!