गाँव वाले आदमी की मुझे एक ही बात बुरी लगती है

गाँव वाले आदमी की मुझे एक ही बात बुरी लगती है,
कम्भख्त अपनी परवाह बुहत कम करता है,
और ये शहर जंगल है, जो अपना ख्याल नहीं करता,
या तो मार दिया जाता है या निकाल दिया जाता है!

कोई कोई दिन तो यूं बीत जाता है

कोई कोई दिन तो यूं बीत जाता है,
जैसे किताब में आ जाए कोई खाली पन्ना!