तन्हाई में यूं हर कोई अपना हो जाता है

शहर छोड़ के 
कोई भी जाता है,
घर मेरा सूना हो जाता है,

आलम में तन्हाई में
यूँ ना चाहते हुए
हर कोई अपना 
हो जाता है!

आलम-ए-तन्हाई से उकताकर

था कैद में तो,
कभी उसे मरने का
ख्याल ना आया,

ज़िन्दगी चाहे
उसकी जैसी भी थी,

रिहाई हुई तो
आलम-ए-तन्हाई
से उकताकर उसने
खुदकुशी कर ली!

Purpose and Meaning

Somtimes I want to run away
from this life, dull and dreary,
of which I am not sure,
has chosen me or I have chosen?

run away to a brick klin,
shape the sand with all my
hearts passion and brows sweat,
and see by the evening
if it is working?

or run away to a quarry
crush the stones all day along,
with all of my restless energies
and see by the evening
did I make a killing?

or run by to a school
take few classes and teach
children science and poetry
with all the love in my soul
and see by the evening
did they love it?

or run by to the nearest circus
and become a clown,
talk weirdly and walk weirdly
without feeling belittled or ashamed
and see by the evening
if the audience enjoyed it?

and a thousand and thousand
of other things
which the collective spirit of
mankind does everyday
to keep the world running

and in the meantime
I hope I will find out something
good enough to give me a
reason to wake up every morning,

for the current one has everything
except purpose and meaning.

The love of a genuine girl

The love of a genuine girl,
is so genuine,
that to it nothing can be compared,

she cannot be cooed by the
fancy and rich men,
for her once it's done it's done,

she cannot be wooed by the
majestic charmer,
for she has taken her vows by the sun,

she deserts her comforts
bares her feet bares her heart,
pares herself for the burns,

she stands brave in the face
of wrath and even certain death
for she was prepared the day it begun,

and same is true for
genuine boys and genuine men,

but these are the times
its better that this is the way I have written.

शायद उसको मझसे कुछ उम्मीद ही न थी

बड़ा दुख हुआ उस की दाद
मिली जो जरा सी बात पे,
ये सोच के, के शायद उसको
मझसे कुछ उम्मीद ही न थी!

कुछ देर अभी तुझे और तन्हा चलना होगा

कुछ देर अभी तुझे
और तन्हा चलना होगा,
न रुकेगा तो यकीनन
तेरे साथ काफिला होगा,

सब डरते हैं अभी तो
घर से निकलने में भी,
नहीं कोई डर की बात
तुझे साबित करना होगा,

आसान क्यों हो सिर्फ ये
एक तेरी लड़ाई तो नहीं,
बाकी सब के लिए भी
अभी तुझे लड़ना होगा,

लोट मत आना ये सोच के
के कोई रहबर नहीं,
इन रास्तों का पैगम्बर भी
तुझे ही बनना होगा,

तेरे नक़्श-ऐ-पा पे
चलेगी दुनिया तेरे बाद,
ये तो तय है अगर तुझे
कुछ न भी हासिल होगा!

आदमी के लिए बस है आदमी

आदमी के लिए बस है आदमी,
महलों से तन्हा रोते गए राजा जी,
सह सके ने बाण एक विरह का,
वीर, पराक्रमी, सूर्यवंशी, चक्रवर्ती,
आदमी के लिए बस है आदमी....

राम जी को तो चलो वनवास हुआ था,
लक्ष्मण को तो उस त्रासदी ने न छुआ था,
फिर उन्होंने ने क्यों राज नगरी त्याग दी,
आदमी के लिए बस है आदमी.....

भरत के लिए तो सब अच्छा ही किया था,
राज उसके लिए माँ ने सुनिश्चित किया था,
फिर भी कहा उसे ही क्यों कुलटा कुल्छीनि,
आदमी के लिए बस है आदमी.....

पर कोई कैकयी इस बात को क्या जाने,
मंथरा मन के आगे रिश्तों का मोल न पहचाने,
अपने ही हाथों अपनी ग्रहस्ती उजाड़ ली,
आदमी के लिए बस है आदमी.....

साँझा सपना देखते हैं

चल चलते हैं साथे,
एक साँझा सपना देखते हैं,
कहा था मैंने उसे,

कुछ नहीं हासिल होगा,
एक दूजे को काट के,

पर वो माना ही नहीं,
ज़िद्द उसकी वही रही,

अब हम दोनो को
नचाता है ज़माना
अपने इशारे पे,

न उसे कुछ हासिल हुआ,
न कुछ मुझे!

कभी कोई फैंसला ही ना हुआ

ज़िन्दगी हमारे लिए बद दुआ,
या हम ज़िन्दगी के लिए बद दुआ,
बुहत सोचा दोनों ने बैठ कर,
पर कभी कोई फैंसला ही ना हुआ!

हाथ की हर रेखा पे मात ही मात,
तकदीर ने लिखी हर लम्हा काली रात,
कोशिशें फिर वो करे भी तो क्यों करे,
हारना जिसका पहले से ही हो तय हुआ,
ज़िन्दगी हमारे लिए बद दुआ....

कहते हैं ज़िन्दगी खेल कर्मो का सारा,
फिर भी इतना सब कुछ मैं कैसे हारा,
थे मेरे ही कर्म पिछले जन्मों में ऐसे,
या वो खेल बैठा मेरी किस्मत का जुआ,
ज़िन्दगी हमारे लिए बद दुआ....

पशेमाँ सब जैसे कोई गुना हुआ हो हमसे,
वो और बात जो वो चाहते थे न हुआ हमसे,
और मेरा भरम बदल रहा यकीन में,
चिराग मैं वो जो बस देता है धुआँँ,
ज़िन्दगी हमारे लिए बद दुआ....

दुआ से ही शुरुआत, दुआ पे ही खत्म होती है

दुआ से ही शुरुआत,
दुआ पे ही खत्म होती है,
खुदा से जब भी कभी,
आपके बारे में बात होती है!

न कहीं कोई रंज, न कहीं
कोई गिला, आइना-ए-दिल
पे देख आपकी तस्वीर,
चेहरे पे मुस्कराहट होती है!

मैं छेड़ के बैठ जाता हूँ
किस्सा आपका ही हर बार,
जब कहीं कभी भी,
फरिश्तों की कहानी आत होती है!

और पुरजोर अकीदत का दरिया
इस नाते के लिए रूह में बह रहा,
वो बात अलग है बात करते हुए
आपसे मुझे अभी हिचकिचाहट होती है!

दुआ से ही शुरुआत,
दुआ पे ही खत्म होती है.....

वहाँ तेरी नज़र के लिए मैं नहीं, यहाँ मेरी नज़र के लिए तू नहीं है

मिलता क्या तेरे शहर में नहीँ है,
मिलता क्या मेरे शहर में नहीँ है,
वहाँ तेरी नज़र के लिए मैं नहीं,
यहाँ मेरी नज़र के लिए तू नहीं है!

दानिशमंदों में हो तू दानिशमंद, शाहीं सी तेरी परवाज़ हो

दानिशमंदों में हो तू दानिशमंद,
शाहीं सी तेरी परवाज़ हो,
तेरे कदमों पे आके टूटें वक़्त की मुश्किलें,
यूं तेरे चलने का अंदाज़ हो!

तू चाहे तो आसमान सर कर ले,
तू चाहे तो ज़मीन की चोटियाँ चढ़ ले,
तू हुनरमंद हो, तू होअकल शऊर,
तेरा हर करम क़ाबिल-ऐ-एज़ाज़ हो!

तू हो फरमा बरदार, तू हो खुद मुख्तार,
वक़्त की आँधियों के लिए तेज तलवार,
इलाज़ हर मर्ज का तेरे हाथ में,
इलाही फरिश्तों सा तेरा मिज़ाज़ हो!

तब तक हम हो चुके होंगे पुराने,
जब आ जाएंगे तुम नोजवानों के जमाने,
एक आरज़ू तेरे नाम से सब हमें जानें,
तू हो हमारा गरूर, तू हमारा ताज हो!

दानिशमंदों में हो तू दानिशमंद,
शाहीं सी तेरी परवाज़ हो.....

Us rad-e-amal ki twakko

Us rad-e-amal ki twakko
humko bhi kabhi khud se naa thi,
par kehte hain sab hai jaayaz
maidan-e-jang, baazi-e-aashiqui.

Zindagi ke un lamhon mein kisi cheez ka mlaal naa raha

Zindagi ke un lamhon mein,
kisi cheez ka mlaal naa raha,
jehn mein jab kabhi ghadi
do ghadi tera khyaal naa raha.

Dil ranj se cheekh uthtaa hai

Kuch logon ko
khudaa de deta hai
sab, husn bhi hunar bhi

aur naa chahate huae,
apna surat-e-haal
dekh ke, dil ranj se
cheekh uthtaa hai,


hmaari jeb kaat ke hi
ye unki jeb bhartaa hai.


कुछ लोगों को
खुदा दे देता है सब,

हुस्न भी, हुनर भी,
मौका भी, किस्मत भी,
राह भी, रहबर भी,

कभी कहीं कोई
आज़माइश नहीं,
कभी कही कोई
इम्तिहान नहीं,

एक नपी तुली सी,
पसंद की, अराम की,
ख्वाइशों की ज़िंदगी,

और ना चाहते हुए,
अपना सूरत-ऐ-हाल
देख के लगता है,

जमाने भर के जहर
हमारे लिए ही वो
बचा के रखता है,
कहर उसका सब
हमी पे बरपता है,

हमारे लिए ही
सब मुश्किलें,
हमारे लिए ही
सब उलजनें,
कभी कहीं कोई
रियात न करता है,

तब दिल रंज से
चीख के कह उठता है,

हमारी ज़िन्दगी की किताब
से ही सब सुनहरी पन्ने
निकाल के ये किताब
उनकी ज़िंदगी की
मुकम्मल करता है,

हमारी जेब काट के ही,
ये जेब उनकी भरता है!

कहता है शराब है तेरे पास तो देके जा

कल एक झोंपड़ी में
मैं चिराग लेके गया,
कम्भख्त ने बुझा दिया
फूंके मार मार के,

कहता है शराब है
तेरे पास तो देके जा,
वरना मेरे घर से
निकल जा दफा हो जा!

एक बाजू उसका कमजोर रह गया

एक बाजू उसका
कमजोर रह गया,
फर्क उसका दूसरे
बाजू से कुछ भी ना था,

बस उसने कभी उसका
ख्याल ही ना किया,
बस उसने कभी उससे
कोई काम ही ना लिया!

तेरी पलकों पे आकेे जो एक दिन, मेरे खाबों का कारवाँ रुका

तेरी पलकों पे आकेे जो एक दिन,
मेरे खाबों का कारवाँ रुका,
मेरी रूह ने झुका दिया सिर सजदे में,
मेरे दिल ने सदा दी यही है वो खुदा!

असल जिंदगी में ऐसा कोई कहाँ होता

मैं जानता हूं उनके,
सिलसिला-ऐ-तकरार की वजह,
उसने मांगी दी बहिश्त-ऐ-हूर,
उसने चाहा था कायनात-ऐ-खुदा,
असल जिंदगी में ऐसा कोई कहाँ होता!

तुझे बदलना होगा देखने सोचने का नज़रिया

झूठा है वो जो कहता है
चाँद सितारे तोड़ ला देगा,
सोच बैठ के क्या वो
तेरे राह में चिराग जला सकेगा?

मत आ महकते
गुलाबों के झांसे में,
सोच क्या ये तेरे रास्ते
के कांटे निकाल सकेगा?

तेरे हाथों को नहीं
चाहियें सोने के कंगन,
पूछ उससे क्या तेरे पाऊं की
बेड़ियाँ काट सकेगा?

झूठे वादों की लम्बी
फेहरिस्त पे ना जा,
पूछ उससे क्या एक वादा
करके उम्र भर निभा सकेगा?

तुझे बदलना होगा देखने
सोचने का नज़रिया,
नहीं तो तुझे हर तलाश में
सहरा-ऐ-सराब ही मिलेगा!

नहीं मिला कोई तो उसके लिए जीना ना छोड़

नहीं मिला कोई तो
उसके लिए जीना ना छोड़,
जो चाहते हैं तुझे
उनकी तरफ दिल को मोड़,

तेरे खाबों के महल
टूट के ढेर हुए तो क्या,
बिखरी हुई ईंटे किसे और
के महल में दे जोड़!

ਨਕਲ ਅਸਲ ਨੂੰ ਖਾਈ ਜਾਂਦੀ

ਨਕਲ ਅਸਲ ਨੂੰ ਖਾਈ ਜਾਂਦੀ,
ਬੇਸਮਝੀ ਚ ਦੁਨੀਆਂ ਸਭ ਗਵਾਈ ਜਾਂਦੀ,

ਮਨ ਮੰਦਰ ਦੀ ਪੌੜੀ ਚੜੇ ਨਾ ਕੋਈ,
ਲਾਈ ਲੱਗ ਡੇਰਿਆਂ ਤੇ ਗੇੜੇ ਲਾਈ ਜਾਂਦੀ,

ਸੁੰਨੇ ਪਏ ਦੇਖ ਵੇਹੜੇ ਹੁਣ ਕਿਹੰਦੀ ਏ,
ਮੁੜਿਆ ਧੀਏ ਨਹੀੰ ਚਾਹੀਦੇ ਸੋਨਾ ਚਾਂਦੀ,

ਖੁੱਸ ਗਿਆ ਪੈਸਾ ਧੇਲਾ ਘਰ ਹੋ ਗਿਆ ਵੇਹਲਾ,
ਹੁਣ ਸੋਚੇ ਜੇ ਜਸ਼ਨਾਂ ਤੇ ਐਂਵੇਂ ਨਾ ਊੜਾਨਦੀ,

ਤੇ ਸੋਹਣੇ ਦੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਚ ਆ ਜਿਹੜੀ ਭੱਜੀ ਘਰੋਂ,
ਲੜ ਐਬੀ ਦੇ ਲੱਗ ਹੁਣ ਪਈ ਏ ਪਛਤਾਂਦੀ,

ਨਕਲ ਅਸਲ ਨੂੰ ਖਾਈ ਜਾਂਦੀ,
ਬੇਸਮਝੀ ਚ ਦੁਨੀਆਂ ਸਭ ਗਵਾਈ ਜਾਂਦੀ...

अगर सीख ले तू चुप रहना

बुहत सी मुश्किलें
हल हो जाएँ
तेरी बंदे,

अगर सीख ले
तू चुप रहना,

ना अंदर
शोर करना,
ना बाहर
बेमतलब बातें कहना!

हिसाब ना किया करो

तुम जितना चाह
सकती हो
उतना चाहो,

मैं जितना
आ सकता हूँ
उतना आने दो,

ये हिसाब
ना किया करो
दिल के कामो में,

इससेें पड़ती हैं
दरारे रिश्तों में,

खुदा के वास्ते
सब खाता बही
जला दो!

अच्छे बच्चे जिद्द नहीं करते

गलत कहती थी माँ,
अच्छे बच्चे जिद्द नहीं करते,
मैंने ये पाया है ज़िद्द के बिना,
तुम कुछ हासिल नहीं कर सकते!

ये जिद्द ही तो थी एल्वा की,
घर घर जो हैं नन्हे सूरज जलते,
ये जिद्द ही तो थी टेस्ला की,
विद्युत पुहंचा आसानी से घर घर में,
ये जिद्द ही थी दो भाइयों की,
जो हम आज उड़ान हैं भरते,

सो सो उधारहने और भी जग में,
सब हासिल हुआ है जिद्द के चलते,
सो बदलो अब बातों को, मत कहो
बच्चो से, अच्छे बच्चे ज़िद नहीं करते।

तुम बताओ, क्या करोगे?

दुनिया तो,
देखेगी,
सोचेगी,
परखेगी,

चुप नहीं
रहेगी,
बोलेगी,
बातें करेगी,

अपने काम
से कभी,
काम नहीं
रखेगी,

तुम बताओ,
क्या करोगे?

बदलोगे,
अनसुना करोगे,
या लड़ोगे,

कौन से,
रस्ते पे
चलोगे!

जीना है तो कीमत चुकानी पड़ेगी

जीना है तो कीमत चुकानी पड़ेगी,
अपनी मर्जी मनमानी नहीं चलेगी!

चूल्हा जलता रखने के लिए घर का,
खाब की लकड़ी तक जलानी पड़ेगी!

बिन यारम के सर्द ठंडी है हर रात,
आह के अंगारे से देह सुलगानी पड़ेगी!

वो बात जो सोचा था किसी से न कहेंगे,
इलाज़ चाहिए तो नब्ज़ दिखानी पड़ेगी!

नहीं मिला हाथ वो जो चाहिए था तो क्या,
जो मिले उसी को उंगली थमानी पड़ेगी!

मोहब्बत में जबरदस्ती नहीं ठीक

एक बार मैंने पूछा था उससे,
क्या तुम मेरे साथ मेरे घर पे रहोगी,
उसने मना कर दिया था,
ये कहके मुझे आसमानो में उड़ना है,

और अब मैं घंटो बैठा रहता हूँ,
उसके इंतज़ार में लेके रोटी और बीज,
अपनी मर्ज़ी से जब जी चाहे आती है,
कभी कभी तो नहीं भी आती,

मैं भी अब यही सोचता हूँ,
अच्छा किया जो जबरन पकड़ के
पिंजरे में नहीं डाला,
मोहब्बत में जबरदस्ती नहीं ठीक!

सरकारी अस्पताल, एमरजेंसी वार्ड, एक वाकया

जल्दी उठाओ इस लाश को,
जल्दी बिस्तर खाली करो,
अरे कह रहा हूँ वक़्त न लगाओ,
इसे जल्दी यहां से हटाओ,

कराह उठा वो, यूं बात न करो,
कोई मरा है जस्बात को समझो,
क्या तुम इतने पत्थर हो गए हो?
दर्द समझना भी भूल गए हो?

खींच के उसको वो वार्ड से बाहर,
हाल में ले गया, और कहने लगा,
देख रहे हो कितनी भीड़ है यहाँ,
इन में से किसी के वास वक़्त नहीं है,

मझे फिकर है कोई और लाश न हो,
वक़्त के हाथों एक और मात न हो,
पत्थर नहीं, दर्द भी समझता हूँ,
पर मेरा फ़र्ज़ है जितने हो सके बचाऊँ,

इसी लिए कहता हूँ, जल्दी बिस्तर खाली करो...



टक से चलता है छुरा

टक से चलता है छुरा,
सिलवटे पे एक खून की,
लकीर सी खिंच जाती है,

जैसे आ जाती है कागज़ पे
सियाही की एक लकीर,
झटके से पैन छिड़कने पे,

और मैं अब भी उस
गली से गुज़र नहीँ पाता हूँ,
चाहे अब उतना नहीं घबराता हूँ,

बुहत छोटा था तब मेरे
दिल में ये डर बैठ गया था,
उसकी लाल आँखे देख के,

के जिस दिन सारी मुर्गियाँ
खत्म हो जाएंगी इसकी,
उस दिन इसी छुरे से
ये मेरी भी गर्दन कलम कर देगा!

अपने ही तोते की, उसने गर्दन मरोड़ दी

कल अपने ही तोते की,
उसने गर्दन मरोड़ दी,
हाथ से जिसे खिलाता था,
वो सूरजमुखी के बीज,
चूरी और लाल मिर्ची,

कहने लगा, ये झूठ
बोलता रहा मुझसे,
किसी को कोई गिला नहीं,
घर पे सब है ठीक,

मेरे ऐतबार का इसने
कत्ल है किया, कभी
मुझे सच्च न बताया,
गाता रहा खुशामद के गीत,

मेरी दुनिया उजड़ गई,
इसने परवाह ना की,
नामुराद था कम्भख्त,
नमक की कीमत तक अदा न की।

पापी पेट के लिए, सब कुछ करना पड़ता

कल मैंने छत्त पे बैठे
कौऐ से पूछ ही लिया,
ये सच्च है न तुम्हे भी
किसी के आने का,
कुछ पता नहीं रहता,

तुम झूठ बोलते हो,
तुम झूठे दिलासे देते हो,
तुमने अपने फायदे के लिए
चला रक्खीं हैं कहानियाँ,

उसने मेरी बात का,
कुछ जवाब न दिया,
चुगता रहा दाना,
जब तक था बचा हुआ,

और जाते जाते कह गया,
गलत तो है जो करता हूँ,
पर पापी पेट के लिए,
सब कुछ करना पड़ता!

आगे बढ़ जा

चलते चलते,
एक आदमी का पाऊँ,
अंगारे पे आ गया,

और वो खड़े रहकर वहां,
चीख पुकार करने लगा,
शोर मचाने लगा,

तभी एक और आदमी,
गुज़रा वहां से,
और उसने कहा,
आगे बढ़ जा!

सब तू ही, सब तू ही, सब तू ही

ऐ मेरी सरजमीं, ऐ मेरी सरजमीं,
सब तू ही, सब तू ही, सब तू ही,
सब तू ही, सब तू ही, सब तू ही!

तू मेरा दीन, तू मेरा धर्म,
तू मेरी दवा, तू मेरा मरहम,
सब तू ही, सब तू ही, सब तू ही!

तेरी शान के लिए, हर कदम,
तेरी आन के लिए, दम दम,
सब तू ही, सब तू ही, सब तू ही!

तू ही चाहत, तू ही मोहब्बत,
तू ही दौलत, तू ही शोहरत,
सब तू ही, सब तू ही, सब तू ही!

दिन भी तू, रात भी तू,
सुबह भी तू, शाम भी तू,
सब तू ही, सब तू ही, सब तू ही!

गीत भी तू, संगीत भी तू,
प्रीत भी तू, मीत भी तू,
सब तू ही, सब तू ही, सब तू ही!

धड़कन भी तू, दिल भी तू,
मैं कहाँ अब, बस तू ही तू,
सब तू ही, सब तू ही, सब तू ही!

बुट्टा

कुछ बरस पहले एक बार,
समंदर की सैर को गए थे हम लोग,
मैं किनारे पे ही बैठा रहा,
और वो दूर निकल गयी लहरों के पास,

कुछ देर बाद लोटी,
दोनो हाथों में कुछ लिए वो,
और दोनो मुट्ठियों से मेरी झोली
भरने लगी वो सीपियों से,

मुझे यूं लगा जैसे आसमान
मेरी झोली में तारे उंडेल रहा हो,
भोलेनाथ जैसे मेरी झोली में
भागीरथी उतार रहा हो,

और वो सागर सी मुस्कान
लिए कह रही थी मुझसे,
अभी जाऊँगी जब फिर
तुम्हारी लिए और ले के आउंगी,

पर मैंने कहा तुम तो बुट्टा
लेने गयी थी ना, वो कहाँ है
"अरे हाँ वो तो मैं भूल ही गयी"
और वो फिर चली गई लहरो के पास,

क्या उमर होगी तब उसकी
शायद सात या आठ!

Ikk tum hi to mehroom nahin,yar-e-hamdam se

Ikk tum hi to mehroom nahin,yar-e-hamdam se,
yahan aur bhi buahat hain do chaar is gam se,

tune to sirf chaah ke naa paaya hai, kuch hain ke haathon mein haath lekin judaa man se,

wo jo apnaa naa huaa yaakeenan  staata hai,
par jaada nahin milke bichadne ke sitam se,

tune awaaz di aur laut ke koi sada naa aai,
jo sun naa sake diwaaron ke chalte pocch haal unse,

so mat kaho ikk tumpe hi bas buri guzri,
buri hoti hai kya jo mite ishq mein pooch unse.

Door hota hoon, to itna door ho jaata hoon

Door hota hoon,
to itna door ho jaata hoon,
bilkul toot hi jaata hoon,

paas hota hoon,
to itna paas aa jaata hoon,
rooh mein utar jaata hoon,

aur dono hi soorton mein,
chot padti hai rishton ke dhaage pe,
karta hoon galat jaanta hoon,

par faansla rakh ke,
kaise saath saath chalte hain,
ye hisaab kabhi sahi se lgaa hi naa paata hoon,

aur maslahat zindgi hai ke,
tootna judna, milna bichadna,
har ghadi, har waqt yahi khel iska,

to phir kaise nibhaayi jaaye,
binaa kisi kaa dil dukhaaye,
binaa kisi shikve, binaa kisi mlaal,

door ho ke bhi paas,
paas ho ke bhi door,
qurbat mein doori, doori mein qurbat,

ye is ajab se khel mein,
kuch kadam aage, kuch kadam peeche,
ajeeb si chaal kabhi sahi se chal hi naa paata hoon.

bas swaal hi swaal,
unsulji gutthian hi gutthian mere jehn mein,
jin mein ulajtaa rehta hoon,
jinko suljaa hi naa paata hoon,

Door hota hoon,
to itna door ho jaata hoon....
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Door hota hai,
to itna door chala jaata hai,
bilkul toot hi jaata hai,

paas hota hai,
to itna paas aa jaata hai,
rooh mein utar jaata hai,

rishton mein kaise chalte hain,
faansla rakh ke saath saath,
usko ye hisaab abhi takk naa aata hai.

Meriaan sada hi shuruatan ne

Dedicated to Elon Musk and Jeff Bezos....

Meriaan sada hi shuruatan ne
kite vi meri aakheer naa manni,
koi kahe mein kite ruk jaavanga
gall usdi da yakeen naa manni.

main dharti te bhaavein hun tak
kaye parbat fateh kar laye ne,
par hale ambar hai baaki
tu meri hadd zameen naa manni.

main jugaan to safar da aadi haan,
kise jhakkhad de roke ruk jaavan,
koi bhuchaal meri neeh hilaa jaave,
eina mainu tu balheen naa manni.

main duniaa badlan aaya haan,
main duniaa badal ke rahanga,
koi adchan mainu rok sokegi,
tu mainu eina maskeen naa manni.

meriaan sada hi shuruatan ne....