मेरे पंखों को हवा दे के तो देख

सुबह उठकेे देखा,
मेरा आँगन मैंने,
सितारों से भरा पड़ा था,

और मुंडेर पे बैठी,
एक चिड़िया मुझसे
कह रही थी,

मैंने कहा था ना
मेरे पंखों को हवा
दे के तो देख!

एक मंदिर चाहिए था मुझे भी इबादत के लिए

एक मंदिर चाहिए था
मुझे भी इबादत के लिए,
अच्छा हुआ आपने घर बना लिया है,
गुजरता हूँ कभी जो इधर से,
तो सजदा कर लेता हूँ।

एक उसी को सच के ना ज़िन्दगी बर्बाद कर ले

एक उसी को सच के ना
ज़िन्दगी बर्बाद कर ले,
रुक्सत करदे दुआओं से
उस यार-ए-बहार को,
और अपने लिए कोई रस्ता
और इख्तियार कर ले!

मैं झूम ना पाया सो जाम पी के भी उनके बराबर

"मैं झूम ना पाया सो जाम
पी के भी उनके बराबर,

होता भी तो कैसे होता,
वो सब मोहब्बत के नशे में थे!"