रेल की पटरियां जब कभी टेडी हो जाती हैं,
हथोडों से मार मार कर सीधी की जाती हैं,
तांकि रेल पलट न जाए, हादसा न हो जाए,
और हम भी पटरियां हैं जिन पर जिंदगी दोड लगाती है,
भटक जाने पर ग़म के हथोडों से जो सीधी की जाती हैं,
तांकि ऐसी मुश्किल न पड़ जाए, के जिंदगी ख़तम हो जाए!