दानिशमंदों में हो तू दानिशमंद,
शाहीं सी तेरी परवाज़ हो,
तेरे कदमों पे आके टूटें वक़्त की मुश्किलें,
यूं तेरे चलने का अंदाज़ हो!
तू चाहे तो आसमान सर कर ले,
तू चाहे तो ज़मीन की चोटियाँ चढ़ ले,
तू हुनरमंद हो, तू होअकल शऊर,
तेरा हर करम क़ाबिल-ऐ-एज़ाज़ हो!
तू हो फरमा बरदार, तू हो खुद मुख्तार,
वक़्त की आँधियों के लिए तेज तलवार,
इलाज़ हर मर्ज का तेरे हाथ में,
इलाही फरिश्तों सा तेरा मिज़ाज़ हो!
तब तक हम हो चुके होंगे पुराने,
जब आ जाएंगे तुम नोजवानों के जमाने,
एक आरज़ू तेरे नाम से सब हमें जानें,
तू हो हमारा गरूर, तू हमारा ताज हो!
दानिशमंदों में हो तू दानिशमंद,
शाहीं सी तेरी परवाज़ हो.....