आज फिर लोट के आएँ हैं मेघा

आज फिर लोट के आएँ हैं मेघा,
प्यासी धरती पर पानी बरसेगा,
नभ में जो रहता नीलम नीला-२,
बन के बूंदे धरती पर छलकेगा,
आज फिर ....

पेड़ पत्तियां,फूल सब नहाएँगे,
फिजा में फिर से इतर महकेगा,
कोयलें गुणगुनाएँगी पेड़ों पर,
और शाखों पर पपीहा चहकेगा,
आज फिर ....

बागों में झूम झूम के मोर नाचेंगे,
खेतों में ख़ुशी से खेतीहर नाचेगा,
घर, ग़ली, सडकें सब धुल जाएँगे,
नया नया सा फिर सब चमकेगा,
आज फिर ....

जीवन में एक उमंग तरंग आएगी,
तन मन में नया उत्साह जागेगा,
घर आँगन में ख़ुशी मनाई जाएगी,
चहूँ और सुख और आनंद फैलेगा!

आज फिर लोट के आएँ हैं मेघा,
प्यासी धरती पर पानी बरसेगा,
नभ में जो रहता नीलम नीला-२,
बन के बूंदे धरती पर छलकेगा,
आज फिर ....