कभी कोई फैंसला ही ना हुआ

ज़िन्दगी हमारे लिए बद दुआ,
या हम ज़िन्दगी के लिए बद दुआ,
बुहत सोचा दोनों ने बैठ कर,
पर कभी कोई फैंसला ही ना हुआ!

हाथ की हर रेखा पे मात ही मात,
तकदीर ने लिखी हर लम्हा काली रात,
कोशिशें फिर वो करे भी तो क्यों करे,
हारना जिसका पहले से ही हो तय हुआ,
ज़िन्दगी हमारे लिए बद दुआ....

कहते हैं ज़िन्दगी खेल कर्मो का सारा,
फिर भी इतना सब कुछ मैं कैसे हारा,
थे मेरे ही कर्म पिछले जन्मों में ऐसे,
या वो खेल बैठा मेरी किस्मत का जुआ,
ज़िन्दगी हमारे लिए बद दुआ....

पशेमाँ सब जैसे कोई गुना हुआ हो हमसे,
वो और बात जो वो चाहते थे न हुआ हमसे,
और मेरा भरम बदल रहा यकीन में,
चिराग मैं वो जो बस देता है धुआँँ,
ज़िन्दगी हमारे लिए बद दुआ....