चालबाज

तबियत का बड़ा ही है वो नासाज़ आदमी,

बोलता है हस के पर है वो चालबाज आदमी,


क्या बताएं कैसी कैसी बे बुनियाद बातें करता हैं,

मुझे तो लगता है अक्ल का है वो खराब आदमी,


आज कुछ, कल कुछ, सामने कुछ, पीछे कुछ,

ऐसा है जमीर और जेहन का वो बीमार आदमी,


उसके तो घर के अब नहीं करते उसका यकीन,

मैं फसा उसके झांसे में बेबस मोहताज आदमी,


आज भी सपनों में खौफ बन के आ जाता है वो,

राधे राधे करता हुआ शकुनि सा दिमाग आदमी!

ग़ज़ल

दहकते अंगारों पे कभी भी हाथ मत रखना,

उसकी बात पे कभी अपनी बात मत रखना,


नाकाम इश्क़ आखिरी तक देता है दर्द बुरा,

कैस जैसा किसी से तालुकात मत रखना,


बड़े जिगर वाले होते हैं जो चाहें वो पा लें,

न हो अगर तो पलकों पे ख्वाब मत रखना,


बड़ी तरह के लोग मिलेंगे निकलो दुनिया में,

हर किसी पे एक जैसा विश्वास मत रखना,


बिना किए ही कुछ मिल जाए ज़िंदगी में तो,

अक्सर होता है फरेब या तो फिर कोई सपना!

डॉकटर

खुश रहो, खुश रहो,

सदा सदा खुश खुश रहो,


ओ दुख दर्द दूर करने वालो,

जख्मों पे मरहम धरने वालो,

सांसों की डोरी टूटने को हो तो,

साथ किसी का छूटने को हो तो,

ज़िंदगी के लिए सामने आ के,

मौत से दो दो हाथ करने वालो,

धड़कने जो थमने लगे तो,

धड़कनों को ओ चलाने वालो,


खुश रहो, खुश रहो,

सदा सदा खुश खुश रहो,


हो जाए जो कोई यतीम,

रूठे हंसी, हर दिन गमगीन,

छूटे सब खेल खिलौने,

अधूरी रह जाए तालीम,

बेवक्त जो चला जाए,

किसी का जो जीवन साथी,

दिया जैसे बिन बाती,

उठ जाए रब से भी यकीन,

ओ यकीन को बचाने वालो,

ओ मेहरबान हंसी लौटाने वालो,


खुश रहो, खुश रहो,

सदा सदा तुम खुश रहो,


धुंधलाती आंखों को कर दो रोशन,

लड़खड़ाते पांव को दे दो ताकत,

देख सकें फिर से फ़ूल कलियां,

खेले जिन में चल सके वो गलियां,

बोझ सब पे बन जाने से राहत,

ढूंढ के ला दो खोई हुई रियाकत,

ओ खुद मुख्तयारी बचाने वालो,

ओ लाचारी से बचाने वालो,


खुश रहो, खुश रहो,

सदा सदा तुम खुश रहो,


घेर ले जो आ के कोई महामारी,

घरों में कैद अपने दुनिया सारी,

तुम्हीं मुंसिफ, तुम्हीं फिर वकील,

तुम ही से पेशी, तुम ही से अपील,

दिन रात रखो काम जारी,

अपने कंधों पे ले सब की जिम्मेदारी,

ओ हबीबो, ये तबीबो,

सब को जिंदाँ से रिहा करवाने वालो,


खुश रहो, खुश रहो,

सदा सदा तुम खुश रहो|