ये तो अभी से बैठ के रोने लगा है

अभी तो दो गाम मोहब्बत के चला है,

अभी तो दो ताने दुनिया के पड़े हैं,

ये तो अभी से बैठ के रोने लगा है,

बातें करता है फरहाद कैस की,

हशर तक रहेगा मेरे साथ ही, 

होने से पहले ही एतबार खोने लगा है, 


चाँद सितारे क्या तोड़ के लाएगा,

ये तो अगले मोड़ तक न जा पाएगा,

मुसीबत पड़ी तो छोड़ के भाग जाएगा,

छूटे इससे मेरा दामन या अल्लाह,

ये तो मेरे ऊपर बोझ बन जाएगा,

हाय! मेरा तो जी कच्चा होने लगा है,

   

रातों को कहता है मैं सोता नहीं हूँ,

रहता कहीं हूँ पर मैं होता कहीं हूँ,

हीर को जो ना मिला मैं रांझा वही हूँ,

जब भी मिलता है हवाईआं ही कहता है, 

इसे साथी की नहीं डाक्टर की जरूरत है,

मुझे तो ये पागल मालूम होना लगा है, 

  

ये क्या बनाया हैं तूने ओ बनाने वाले,

ये कहाँ तार जोड़ दिया है ओ मिलाने वाले,

तुम दोनों पे लाहनत तुम दोनों पे नाले,

ये गली मोहल्ला अब छोड़ना पड़ेगा,

और फ़ोन का नंबर भी बदलना पड़ेगा,

जल्दी करूँ शाम हुई अँधेरा होना लगा है! 

ऐ जान-ए-जान तुम शाद आबाद रहा करो

ऐ जान-ए-जान तुम

शाद आबाद रहा करो,

तुम जो थक के बैठ गयी 

मुझे भी रुकना पड़ जाएगा,


अभी सफर बुहत पड़ा है

अभी मंज़िल बुहत दूर है,

जो कोई दुश्वारी पड़ गई,

तो इस उजले उजले मंजर से

लौट के जाना पड़ जाएगा,


कश्ती दो चप्पू से चलती है,

तुमसे जो अपना छूट गया तो,

सफीना हमारा डूब जाएगा,

आशिआना हमारा बिखर जाएगा,


तेरी मोहब्बत तेरी चाह है,

जो रोज़ नए सपना सजा रहा हूँ,

तुम जो साथ ना रही तो

दम मेरा भी निकल जाएगा,

 

ऐ जान-ए-जान तुम

शाद आबाद रहा करो!

एक आखिरी दुआ, एक आखरी सलाम है

एक आखिरी दुआ, एक आखरी सलाम है,

मश्कूर हूँ, कुछ तो आपने करने दिया काम है,


खुद का खुद पे ही यकीन कम हो गया था,

गुमनामी के अंधेरों में कहीं गुम हो गया था,

आपके निज़ाम में कुछ तो हुआ मेरा नाम है,

एक आखिरी दुआ, एक आखरी सलाम है,


मिला एतबार और हौंसला मैं चलता रहा,

पता न रहा, दिन कब आए, कब ढलता रहा,

होता है, ओहदों से आगे जब रहे एहतराम है,  

एक आखिरी दुआ, एक आखरी सलाम है,


रस्ता मिल गया है तो मुकाम भी मिल जाएगा,

गुज़र रहा बुरा तो क्या नवरोज़ जल्द आएगा,

पर हवाओं ने लिख भेजा ख़िज़ाँ का पैगाम है,

एक आखिरी दुआ, एक आखरी सलाम है!  

पर तुम्ही क्यों होते हो, जहाँ भी कुछ ऐसा होता है

माना के, हर आदमी बुरा या गुनहगार नहीं होता है,

पर तुम्ही क्यों होते हो, जहाँ भी कुछ ऐसा होता है,


कोई गलती या कमी तो, जरूर है कहीं निसाबो में, 

जान देकर, जान लेने को, जो तैयार कोई होता है,


क्या फरक है सबसे, एक बार जरा सोच तो लो,

बिना बात के दुनिया में कोई दुश्मन नहीं होता है,


यहाँ से तो जाओगे ही, आगे भी कुछ नहीं पाओगे,

मसले और बढ़ते हैं, मरने मारने से कुछ नहीं होता है,


साथ चलो दुनिया के अपना इक़बाल बुलंद करो,

तहज़ीब तालीम वाले का हर जगह मान होता है!

ये तकसीम कर ली है जीने के लिए

जिस्म को ज़िम्मेदारियों के हवाले,

रूह को दे दिया है खाबों के लिए,

देखें काम करती है के नहीं तदबीर,

ये तकसीम कर ली है जीने के लिए!