जब अपने गाँव की याद आती मुझको,
लगता है घर वापिस माँ बुलाती मुझको,
नींद ना जब आती याद आ जाती है माँ,
सपनो में फिर लोरी सुनाती मुझको,
जब अपने गाँव की याद.....
खड़े द्वार पर सब मुझको बुला रहे,
खेलने को आने के लिए कह रहे,
थाली ले के फिर पीछे दोड़ती है माँ,
पास बिठा के खाना खिलाती मुझको,
जब अपने गाँव की याद.....
इक्क गर्मी की शाम मैं बीमार पड़ा हूँ,
अपने बिस्तर पे घर में लेटा हुआ हूँ ,
सब काम छोड़ पास आ बैठ जाती माँ,
अपने हाथों से दवा पिलाती मुझको,
जब अपने गाँव की याद.....
हुई खता कोई मुझसे शर्मसार हूँ मैं,
पिता के सामने खडा गुनाहगार हूँ मैं,
मार से फिर बचाने आ जाती है माँ,
प्यार से फिर समझाती मुझको,
जब अपने गाँव की याद.....
मैंने उसके लिए कभी कुछ किया ना,
दुख के सिवा कुछ और दिया ना,
फिर भी मेरे लिए दुआ करती है माँ,
सबसे अच्छा बताती मुझको,
जब अपने गाँव की याद.....
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