बाकी सब कभी न कभी जता देते हैं,
दिया जो सब कुछ उसके बदले मांग लेते हैं,
पर माँ बदले में कुछ भी चाहती नहीं है,
सिर्फ एक वही जो कभी जताती नहीं है!
घर जाओ, सब के लिए कुछ ले जाओ,
उसे चाहे तुम हर बार भूल जाओ,
मेरे लिए क्यों कुछ लेके नहीं आया,
बात उसकी तरफ से फिर भी कभी,
बनके ताना ये आती नहीं है,
माँ बदले में कुछ भी चाहती नहीं है,
सिर्फ एक वही जो कभी जताती नहीं है!
पती के बाद खाती इसलिए अगर है,
क्योंकि वो उसके लिए परमेशवर है,
तो बच्चों से पहले क्यों खाती नहीं है?
क्यों उसे रोटी उनसे पहले भाती नहीं है?
बच्चे उससे पहले खा लें तो खा लें,
पर वो बच्चों से पहले कभी खाती नहीं है,
माँ बदले में कुछ भी चाहती नहीं है,
सिर्फ एक वही जो कभी जताती नहीं है!
कुछ भी मुश्किल हो, या कुछ भी हो बात,
कोई और हो न हो वो हर पल रहती साथ,
हसके मांग लेती है सब बलाएं अपने सर,
मिलेगा कुछ बदले में उसे नहीं ये फिकर,
जान देने तक से भी घबराती नहीं है,
माँ बदले में कुछ भी चाहती नहीं है,
सिर्फ एक वही जो कभी जताती नहीं है!
बच्चे चाहे उसे जाने अनजाने कितना दुःख दे,
पर कहती नहीं फिर भी कभी कुछ मुख से,
हाँ रो लेती है बस कभी वो सब से छुपके,
पर दिल में फिर भी कभी बददुआ लाती नहीं है,
ऊँचा बोल बच्चों का दिल कभी दुखाती नहीं है,
माँ बदले में कुछ भी चाहती नहीं है,
सिर्फ एक वही जो कभी जताती नहीं है!
बच्चे चाहे उसे कभी याद करे न करे,
उसका नहीं होता ध्यान उनसे पल भी परे,
भले हों, बुरे हों, हों चाहे जैसे,
जग समजता हों उन्हें चाहे भी कैसे,
निंदा उसे फिर भी उनकी सुहाती नहीं है,
ममता उसकी उनकी लिए जाती नहीं है,
माँ बदले में कुछ भी चाहती नहीं है,
सिर्फ एक वही जो कभी जताती नहीं है!
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