बिना मंजिल के कुछ हासिल नहीं होता

वो कश्तियाँ समन्दर र्में गुम हो जाती हैं,
जिनका कहीं कोई साहिल नहीं होता,
घर से सोच कर निकलो के क्या चाहिए,
बिना मंजिल के कुछ हासिल नहीं होता!

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