दुआ से ही शुरुआत, दुआ पे ही खत्म होती है

दुआ से ही शुरुआत,
दुआ पे ही खत्म होती है,
खुदा से जब भी कभी,
आपके बारे में बात होती है!

न कहीं कोई रंज, न कहीं
कोई गिला, आइना-ए-दिल
पे देख आपकी तस्वीर,
चेहरे पे मुस्कराहट होती है!

मैं छेड़ के बैठ जाता हूँ
किस्सा आपका ही हर बार,
जब कहीं कभी भी,
फरिश्तों की कहानी आत होती है!

और पुरजोर अकीदत का दरिया
इस नाते के लिए रूह में बह रहा,
वो बात अलग है बात करते हुए
आपसे मुझे अभी हिचकिचाहट होती है!

दुआ से ही शुरुआत,
दुआ पे ही खत्म होती है.....

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