तुम कहाँ हमारे साथ चले आए,
हम खुद भटकते फिरते हैं,
रास्ता तुम्हें क्या बताएँ,
रोशनी होती हमारे पास तो,
खुद न राह तलाश लेते,
तुम्हारे रास्ते में हम,
कहाँ से चिराग जलाएँ,
जाओ किसी और को
अपना रहबर बनाओ,
इमकाँ उसी में है के
तुम्हें रहनुमा मिल जाए!
हम खुद भटकते फिरते हैं,
रास्ता तुम्हें क्या बताएँ,
रोशनी होती हमारे पास तो,
खुद न राह तलाश लेते,
तुम्हारे रास्ते में हम,
कहाँ से चिराग जलाएँ,
जाओ किसी और को
अपना रहबर बनाओ,
इमकाँ उसी में है के
तुम्हें रहनुमा मिल जाए!
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