वो क्या खाक अपना है

वो क्या खाक अपना है,
जिससे पूछना पड़े बात करने के लिए,
जिससे दिन मुकर्रर करना पड़े,
हर छोटी बड़ी मुलाकात करने के लिए,

सोचना पड़े कहते हुए,
कहना हो तो, कहना पड़े सोचते हुए,

अपना तो वो होता है,
छपाक से जिसके पास
तुम कभी भी जा सको,
दरवाज़ा तुम जिसका
जा के कभी भी खटका सको,

बात कहते हुए खुद को न रोकना पडे,
कहने के बाद न फिर सोचना पड़े,

और वो भी तुम्हें मिले हर बार इस तरह,
कर रहा हो तुम्हारा ही इंतज़ार जिस तरह,

जाओ तुम तो दूर तक तुम्हे देखता रहे,
फिर आना अच्छा लगा तुमसे ये कहे!

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