मकसद फकीर का इतना सा ही

बड़ा बनना, मशूहर होना
इसकी कोई चाह नहीं है,
कुछ चीज़ें सँवर जाएँ,
कुछ चीज़ें अच्छे के लिए बदल जाएँ,
मकसद फकीर का इतना सा ही है!

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