घर जाने की है
जल्दी हमको भी,
चाहे घर पे कोई नहीं,
रोती हैं तन्हा दीवारें भी,
कल मैंने बन्द कमरा खोला,
कुछ एक महीने बाद,
हर एक पे सीलन थी!
जल्दी हमको भी,
चाहे घर पे कोई नहीं,
रोती हैं तन्हा दीवारें भी,
कल मैंने बन्द कमरा खोला,
कुछ एक महीने बाद,
हर एक पे सीलन थी!
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