सिक्कों का शोंक नहीं है, ज़रूरतों के आगे सर झुकाते हैं

जब भी घर खरीदने की सोचते हैं,
पैसे कम पड़ जाते हैं,
सिक्कों का शोंक नहीं है,
ज़रूरतों के आगे सर झुकाते हैं!

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