रोग सारे अभी भी लाइलाज हैं,
जो सोचते हैं अभी ऐश करो,
आगे जो होगा देखा जाएगा,
महामूर्ख, ना समझ, बद दिमाग हैं,
चर्बी शरीर पे जो ज्यादा चढ़ी,
मधुमेह नाम की सरपणी,
आ तन की बेल से लिपट जाएगी,
रोज खाएगी थोड़ा थोड़ा,
फिर जब उसका जी भर जाएगा,
क्षण में तुम्हे निगल जाएगी,
मत गलने दो लापरवाही से,
जाड़ों और दांतो को,
मत क्षीण शक्तिहीन करो,
खा के जंक फूड आंतों को,
बीड़ी, चिल्लम, हुक्का, सिगरेट,
इन सब से परहेज़ करो,
व्हिस्की, रम, स्कॉच, वोडका,
इन सब से भी गुरेज करो,
माल़ जो फूंकते है यार दोस्त,
जरा उनसे भी बचके रहो,
दिल, जिगर,फेफड़े,
इन सबका ही तो जिस्म खेल है,
और दिमाग है वो इंजन,
जो चलाता सारी रेल है,
मत खो ओ, मत ग्वाओ
बहुमूल्य अंगों को,
रोगों से इनको बचाओ,
और देखो जीवन के रंगों को,
थोड़ी कसरत, थोड़ा व्याम,
हो सके तो रोज करो,
मन भी जो शांत रहे,
थोड़ा प्राणायाम, थोड़ा ध्यान धरो,
और ना भूलो कभी भी,
रोग सारे अभी भी लाइलाज हैं,
जो सोचते हैं अभी ऐश करो,
आगे जो होगा देखा जाएगा,
महामूर्ख, ना समझ, बद दिमाग हैं।
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