फ़िज़ूल है अब ये सोचना, कितना है,और कितना चाहिए

फ़िज़ूल है अब ये सोचना,

कितना है,और कितना चाहिए,

जब और कोई राह ही नहीं,

फिर सोचना क्या बस चलते जाइये!

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