ना मिला हमें जो था कब से हद से बढ़कर चाहिए,
ना रहा पास जिसके आसरे थे सो अरमान सजा लिए,
कुछ कुछ रही बस हम दोनों की अजब मजबूरियाँ,
इसी बात पे अब बात को खत्म किया जाना चाहिए,
जान गए थे बड़े वक़्त से ढूँढ़ते थे ये रहनुमा वही है,
पर अपनी बेएतबारी और बेकरारी पे काबू कैसे पाइए,
जब तक साथ चले यकीनन दिलो जान लुटाकर चले,
इस से बढ़कर और भला आशनाई में क्या कर जाइए,
रास्ते आज अगर अलग अलग हो भी गए तो क्या हुआ,
दिलों में भूले से भी कभी दूरियां नहीं आनी चाहिएँ,
वक़्त से बड़े वक़्त के बाद है आज एक इल्तज़ा गुज़ारिश,
ऐसा ही हसीं मंजर और सबब एक बार फिर से बनाइए!
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