आलम-ए-तन्हाई से उकताकर

था कैद में तो,
कभी उसे मरने का
ख्याल ना आया,

ज़िन्दगी चाहे
उसकी जैसी भी थी,

रिहाई हुई तो
आलम-ए-तन्हाई
से उकताकर उसने
खुदकुशी कर ली!

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