था कैद में तो,
कभी उसे मरने का
ख्याल ना आया,
ज़िन्दगी चाहे
उसकी जैसी भी थी,
रिहाई हुई तो
आलम-ए-तन्हाई
से उकताकर उसने
खुदकुशी कर ली!
कभी उसे मरने का
ख्याल ना आया,
ज़िन्दगी चाहे
उसकी जैसी भी थी,
रिहाई हुई तो
आलम-ए-तन्हाई
से उकताकर उसने
खुदकुशी कर ली!
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