मौजजे की उम्मीद में
कोशिशों का साथ छोड़ दिया,
जान-ए-हकीकत ने हमसे
ख़फ़ा हो के मुँह मोड़ लिया,
कभी सोचा ही ना रस्मे
दुनिया और राहदारी क्या है,
हर एक चीज़ में यही सोचा
दिल-ओ-जान दिया के न दिया,
क्यों मिले हमको दुनिया
और इसकी कोई शय भी,
नाता ख्यालों से ही, हमने
ही तो था सब जोड़ लिया,
आलम-ए-तन्हाई, बेकसी
ही चलो सिर्फ मेरे हिस्से सही,
क्या बुरा जो हमने और कुछ
भी न कभी हासिल किया,
सिवाए ठोकरों और दुशवारी के
इन रस्तों पे है और कुछ नहीं,
कोई चाहिए था पता करने के लिए,
चलो हमने इसे ही अन्जाम कर दिया!
कोशिशों का साथ छोड़ दिया,
जान-ए-हकीकत ने हमसे
ख़फ़ा हो के मुँह मोड़ लिया,
कभी सोचा ही ना रस्मे
दुनिया और राहदारी क्या है,
हर एक चीज़ में यही सोचा
दिल-ओ-जान दिया के न दिया,
क्यों मिले हमको दुनिया
और इसकी कोई शय भी,
नाता ख्यालों से ही, हमने
ही तो था सब जोड़ लिया,
आलम-ए-तन्हाई, बेकसी
ही चलो सिर्फ मेरे हिस्से सही,
क्या बुरा जो हमने और कुछ
भी न कभी हासिल किया,
सिवाए ठोकरों और दुशवारी के
इन रस्तों पे है और कुछ नहीं,
कोई चाहिए था पता करने के लिए,
चलो हमने इसे ही अन्जाम कर दिया!
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