हो सके तो हवा तू कहीं उड़ा ले जा

हो सके तो हवा तू कहीं उड़ा ले जा,
हो सके तो पानी तू कहीं बहा ले जा,
अब मेरा यहाँ जी नहीं लगता,
कोई मुझे कर दो यहाँ से रिहा!

हो सके तो ए सुबह तू मुझे समेट जा,
हो सके तो ए रात तू मुझे निगल जा,
मैंने देख लिए हैं सब मौसम,
अब मुझे और कुछ देखने की ना चाह!

हो सके तो ए ज़मीन तू खुल जा,
ही सके तो आसमान तू हाथ बड़ा,
अब मेरा यहाँ है दम घुटता,
कोई बदल के दो मुझे नया जहाँ!

हो सके तो ए खुदा तू खुद आ,
हो सके तो कोई फरिश्ता भिजवा,
मेरा यहाँ खत्म है खेल,
किसी और कहानी में मुझे दे किरदार बना!

No comments:

Post a Comment