खुद को भी देखते हैं दूसरे की नजर से

जब से हम पे ये फिकर पड़ी है,

सर पे छत होनी चाहिए,

और खाने को होना चाहिए घर पे,

हम हम नहीं रहे,

खुद को भी देखते हैं दूसरे की नजर से!

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