हर किसी पे गुजर रहा है बहुत कुछ,
कौन कितना है उदास, कौन कितना है खुश,
बड़ा मुश्किल है ये जानना सचमुच!
कौन गम को हसीं में छुपाए हुए है,
कौन तन्हाई को शोरगुल से दबाए हुए है,
अक्सर चेहरा करता है कुछ बयां,
अक्सर तबियत है और ही कुछ,
हर किसी पे गुजर रहा है बहुत कुछ!
किसी पर से भी जरा परतें हटा लो,
किसी की भी तहों में जो कदम बड़ा लो,
तो दिल कहता है अब तो यही, संभालों,
कहीं निकल ना आए, हाए ऐसा कुछ,
हर किसी पे गुजर रहा है बहुत कुछ!
और क्या किसी की कोई हाजत करे,
क्या किसी से कोई सहारे के लिए गुहार करे,
अगला सब दुख खुल के बता ना सके,
अपना दिल खोल के दिखा ना सकें सब कुछ,
हर किसी पे गुजर रहा है बहुत कुछ!
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